कुल्लू में अब कोई भी जरूरतमंद नहीं सोता भूखे पेट

*कुल्लू में अब कोई भी जरूरतमंद नहीं सोता भूखे पेट, अन्नपूर्णा संस्था असहाय लोगों के लिए बनी वरदान* कोरोना काल में घर-घर जाकर बांटा खानानाम : अन्नपूर्णा संस्थाशुरुआत: 2011स्थान : कुल्लूपहले सदस्यों की संख्या : 20वर्तमान सदस्यों की संख्या : 60हिंदू पौराणिक कथाओं में भोजन की देवी अन्नपूर्णा को माना गया है। जिस तरह से देवी पार्वती भोजन के साथ-साथ उदार व अनाज की देवी होती हैं, वैसे ही देवभूमि कुल्लू में अन्नपूर्णा संस्था भी लोगों को दो समय का भोजन करवाने के साथ-साथ अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को नि:शुल्क हर तरह की सुविधा प्रदान करवा रही है। अन्नपूर्णा संस्था की शुरुआत करने वाले कुल्लू के विनित सूद की सोच आज अनेक ऐसे लोगों का भी पेट पालती है, जो सुबह खाकर रात के लिए अन्न की तलाश में रहते थे, लेकिन आज अन्नपूर्णा संस्था की सेवा से कुल्लू में कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति भूखा नहीं रहता है। विनित सूद बताते हैं संस्था की शुरुआत 2011 से 20 लोगों के साथ मिलकर की गई।घर-घर से रोटी मंगवाई और जिला अस्पताल के बाहर लोगों को बुलाकर खाना खिलाने की शुरुआत की। उसके बाद जैसे ही लोगों को पता चला कि रोजाना एक संस्था की ओर से जरूरतमंदों सहित मरीजों व उनके तीमारदारों की भी मदद होती है तो लोग उनके पास अधिक संख्या में पहुंचने लगे। इसी तरह अन्नपूर्णा संस्था के साथ लोगों का एक बड़ा कुनवा जुड़ता चला गया हैं। आज संस्था के साथ करीब 60 स्वयंसेवक (वालंटियर) जुडक़र काम करते हैं। संस्था के बेहतर कार्य को देखते हुए अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्पताल के पास ही खाना बनाने के लिए जगह दी गई है, जहां संस्था खाना बनाती है और अब एक ही दिन में सैकड़ों लोगों को खाना खिलाया जाता है। संस्था की ओर से मरीजों को कंबल, गर्म पानी की बोतल, फ्री में फैक्स, व्हील चैयर सहित अन्य

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